Sunday, April 11, 2010

शुखनु स्टेशन

मधुर रहिये एट्लू शुख,
मानवी रहिये एट्लू दुःख,
सुखी रहिये एटली आशावो,
जरूरियात संतोषे एटली समृधि,
हूँफ आपे एटला मित्रो अने 
आजने गई काल करता वधु शुखद
बनावे एटली निश्चायशक्ति.
ऐ.ऐ.मथाकीआ
[एडिटर-कप्तान]

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